अग्नि शमन अधिकारी को न्यूनतम वेतन पर प्रत्यावर्तित करने का दंडादेश रद्द

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अग्नि शमन अधिकारी को न्यूनतम वेतन पर प्रत्यावर्तित करने का दंडादेश रद्द

प्रयागराज में रेस्टोरेंट मालिक से घूस मांगने का लगा था आरोप

प्रयागराज 18 दिसम्बर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में तैनात रहे अग्नि शमन अधिकारी को न्यूनतम वेतन पर प्रत्यावर्तित करने के दंडादेश को रद्द कर दिया है तथा कहा कि दंड कानूनी प्रक्रिया का पालन किए वगैर दिया गया है।

हाईकोर्ट ने कहा है कि उ प्र अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम-14(1) के विरूद्ध की गयी विभागीय कार्यवाही के आधार पर वृहद दण्ड देना अंसंवैधानिक है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने तत्कालीन अग्नि शमन अधिकारी (एफ एसओ) प्रयागराज नागेन्द्र प्रसाद द्विवेदी की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम को सुनकर पारित किया।

मामले के अनुसार याची एफ एस ओ, नागेन्द्र प्रसाद द्विवेदी पर आरोप था कि जब वह वर्ष 2023 में सिविल लाइन्स फायर स्टेशन, प्रयागराज में नियुक्त थे, तब 10,000/- रूपये उत्कोच के रूप में राजीव मेहरोत्रा द्वारा दिये जाने की बात वीडियो एवं ऑडियो में की गयी एवं उक्त वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था।

एफएसओ के विरूद्ध उक्त आरोपों के सम्बन्ध में उ प्र अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम-14(1) के अन्तर्गत आरोप पत्र देने के पश्चात् विभागीय कार्यवाही पीठासीन अधिकारी/अपर पुलिस महानिदेशक, अग्निशमन तथा आपात सेवा मुख्यालय उ प्र लखनऊ द्वारा सम्पादित की गयी। 12 फरवरी 2024 को जॉच रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक अग्निशमन तथा आपात सेवा, मुख्यालय लखनऊ को प्रेषित की गयी, जिसमें याची एफएसओ को तीन वर्ष की सेवा अवधि के लिये न्यूनतम वेतन पर प्रत्यावर्तित किये जाने की संस्तुति की गयी।

इसके बाद पुलिस महानिदेशक अग्निशमन तथा आपात सेवा मुख्यालय लखनऊ द्वारा दिनांक 06 अगस्त 2024 को याची को तीन वर्ष की सेवा अवधि के लिये न्यूनतम वेतन में प्रत्यावर्तित कर दिया गया। दण्डादेश के विरूद्ध याची ने विभागीय अपील न दाखिल करते हुए सीधे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका स्वीकृत कर ली एवं याची के विरूद्ध पारित दण्डादेश दिनांक 06 अगस्त 2024 निरस्त कर दिया तथा पार्ट ऑफ दि इन्क्वायरी रिपोर्ट 12 फरवरी 2024 को भी निरस्त कर दि

या।

एकल जज ने मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की मो० हनीफ खॉन बनाम उ०प्र० सरकार व अन्य तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय स्टेट ऑफ उत्तराखण्ड बनाम खड़क सिंह में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर याची के खिलाफ की गई कार्यवाही को नियम के विरूद्ध बताया।

याचिका में राजीव मेहरोत्रा प्रोपराइटर शामियाना रेस्टोरेन्ट, सिविल लाइन्स, प्रयागराज द्वारा प्रेषित किये गये फायर सर्विस मुख्यालय लखनऊ के पत्र दिनांक 02 जुलाई 2023 का हवाला देते हुए यह कहा गया था कि राजीव मेहरोत्रा ने अपने हस्ताक्षरित पत्र में खुद ही यह स्वीकार किया है कि न तो उसने कोई भी पैसा किसी भी फायर ऑफिसर को दिया है और न ही फायर ऑफिसर ने किसी भी पैसे की डिमाण्ड की थी। तथाकथित सीडी/ वीडियो क्लिप न तो उसमें प्रार्थी की आवाज है एवं प्रार्थी का उससे कोई सम्बन्ध नहीं है। उक्त सीडी/ वीडियो क्लिप कट-पेस्ट करके कूटरचित तरीके से एक साजिश के तहत बनाई गयी है।

 

याची के वरिष्ठ अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसलों का हवाला देते हुए यह तर्क दिया कि, जहां पर कानूनी प्रकिया का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया गया है, उन परिस्थितियों में यह जरूरी नहीं है कि अपील या रिवीजन उच्चाधिकारियों के यहां दाखिल किया जाये

एकल जज ने याची के विरूद्ध पारित दण्डादेश दिनांक 06 अगस्त 2024 को निरस्त करते हुए सभी लाभ देने का आदेश पारित किया है। एकलपीठ ने कहा है कि याची के प्रकरण में सक्षम अधिकारी को यह छूट कि नये सिरे से परीक्षण करें एवं हाईकोर्ट के आदेश में दी गयी फाइन्डिंग का अवलोकन करने के पश्चात् नियम एवं कानून के तहत आदेश पारित करें।

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