दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव हारने के बाद मनीष सिसोदिया लोगों और सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी बनाते हुए नजर आ रहे हैं। चुनाव परिणाम घोषित होने के कुछ दिनों बाद ही वे अचानक गायब हो गए।
गायब होने के साथ ही उन्होंने अपना फोन भी बंद कर दिया। अब मनीष सिसोदिया ने खुलासा किया है कि वे पिछले कई दिनों से विपश्यना केंद्र में थे।
सिसोदिया ने खुद किया खुलासा
शनिवार को उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया, “मैं पिछले 11 दिनों से राजस्थान के एक गांव में विपश्यना ध्यान शिविर में था। मौन, एकांत और अपने भीतर के आत्म का अवलोकन। फोन भी बंद था, बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटा हुआ। आज सुबह शिविर पूरा हुआ।”
आगे लिखा, विपश्यना सिर्फ ध्यान नहीं है, यह एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। दिन में 12+ घंटे अपनी सांसों को देखना, बिना किसी प्रतिक्रिया के सिर्फ अपने मन और शरीर को समझना। गौतम बुद्ध की वही शिक्षा – चीजों को वैसा देखना जैसा वे वास्तव में हैं, जैसा हम उन्हें देखना चाहते हैं वैसा नहीं।
इस यात्रा में कोई संवाद नहीं है। न फोन, न किताबें, न लिखाई, न किसी से नजर मिलाना। पहले कुछ दिन तो मन दौड़ता रहता है, बेचैनी रहती है, लेकिन धीरे-धीरे समय शांत होने लगता है। सारी भागदौड़ के बीच एक अजीब सी शांति जन्म लेने लगती है।
पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा, सबसे दिलचस्प बात यह रही कि शिविर में 75% लोग 20-35 वर्ष की आयु के थे। जब मैंने आखिरी दिन उनसे बात की तो पता चला कि सफलता की दौड़, थकान, जटिल जीवन और आंतरिक बेचैनी ने उन्हें इतनी कम उम्र में इस राह पर ला खड़ा किया है।
उनकी शिकायत थी कि जिस शिक्षा ने उन्हें सफलता की इस दौड़ के काबिल बनाया, अगर उसने उन्हें इस थकान और इन जटिलताओं से निपटने का मंत्र भी सिखाया होता, तो हर शिक्षित व्यक्ति का जीवन इतना खुशहाल हो सकता था।
पूर्व शिक्षा मंत्री ने ध्यान के फायदे बताए
सिसोदिया ने कहा, मुझे खुशी है कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री के तौर पर मैं स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के तहत हर दिन हर बच्चे के लिए #हैप्पीनेसक्लास शुरू कर पाया। विपश्यना साधना में दस दिन बिताने के बाद ये युवा जिस शिक्षा के मानवीकरण की बात कर रहे थे, यह उसकी दिशा में एक बड़ा कदम है।
मैं आज शाम तक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ दिल्ली लौटूंगा। और संकल्प वही है – देश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। अच्छी शिक्षा हर बच्चे को न केवल सफल बनाए बल्कि एक बेहतर इंसान भी बनाए। शिक्षा के मानवीकरण के काम को भी आगे बढ़ाना है।
और हां, अगर जीवन में कभी मौका मिले तो ये 10 दिन का अनुभव जरूर लें। ये न केवल मन की शांति का मार्ग है, बल्कि खुद को जानने का एक दुर्लभ अवसर है।
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